राजस्थान समाचार आज की ताजा खबर: प्रदेश में मंदिर की भूमि पर कब्ज़ों करने का विवाद वर्तमान में बढ़ता जा है. हाल ही में दौसा जिले के एक मंदिर के पुजारी की हत्या करने का मामला यह साबित करता है कि स्थानीय भूमाफिया किस तरह मंदिर की भूमि पर कब्ज़ा जमा रहे है.
राजस्थान के 33 जिलों में से 27 जिलों में देवस्थान विभाग के 857 मंदिर:
देवस्थान विभाग के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के 33 जिलों में से देवस्थान विभाग के 857 मंदिर हैं. इन मंदिरों के आस-पास मंदिर माफी की कृषिभूमि करीब 24399 बीघा बताई जा रही है. इन मंदिरों के पास कुल 1267 व्यावसायिक और 624 आवासीय संपत्ति भी हैं. देवस्थान विभाग की जानकारी के अनुसार सर्वाधिक मंदिर 110 भरतपुर,113 करौली में, उदयपुर में 86 और जयपुर में 107 मंदिर हैं. इन मंदिरों के पास आवासीय संपत्ति सर्वाधिक जोधपुर मंदिरो के पास है जिनकी कुल संख्या 146 है. उसके बाद दूसरे नंबर पर भरतपुर में 134 और तीसरे नंबर पर जयपुर के मंदिरों के पास 114 आवासीय संपत्ति हैं.
237 व्यावसायिक संपत्ति उदयपुर के मंदिरों के पास मौजूद:- राजस्थान समाचार आज की ताजा खबर
देवस्थान विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक सर्वाधिक 237 व्यावसायिक संपत्ति उदयपुर जिले के मंदिरों के पास हैं, जबकि दूसरे नंबर पर जोधपुर के मंदिरों के पास 209, जयपुर के मंदिरों के पास 180, भरतपुर के मंदिरों के पास 134 और बीकानेर के मंदिरों के पास 132 व्यावसायिक संपत्ति हैं. मंदिर माफी की सर्वाधिक भूमि की जानकारी दे तो उदयपुर जिले के मंदिरो के आस-पास 8660 बीघा कृषि भूमि है. जबकि दूसरे नंबर पर बारां जिले के मंदिरो के पास 3977 बीघा, चूरू जिले के मंदिरो के पास 2916 बीघा, बूंदी जिले के मंदिरो के पास 2583 बीघा और बीकानेर जिले के मंदिरो के पास 1938 बीघा कृषि भूमि है.
मंदिरो की भूमि पर कब्ज़ा हो रहा:-
देवस्थान विभाग के मंदिरों में से महज भरतपुर, टोंक, करौली, अलवर, जैसलमेर, सवाई माधोपुर ही ऐसे जिले हैं इन मंदिरो के पास कृषि भूमि नहीं है. लेकिन वर्तमान समय में जो विवाद चला रहा है वह दौसा जिले के महुआ गांव के बालाहेड़ी ढाणी के मंदिर श्री सीताराम जी केेे पास 210 बीघा मंदिर माफी की कृषि भूमि हैै. मंदिरो की भूमि पर कब्ज़ा कर अवैध प्रकार से ताबतोड़ निर्माण कार्य किया जा रहा है
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