Waqf Board Amendment Bill: मुस्लिम वक्फ बोर्ड भारत में मुसलमानों की धार्मिक, सामाजिक और शैक्षणिक संस्थाओं की देखरेख और प्रबंधन के लिए स्थापित एक वैधानिक (Waqf Board) निकाय है। इसका मुख्य कार्य वक्फ संपत्तियों का संरक्षण और उपयोग सुनिश्चित करना है ताकि इनसे जुड़ी आय का उपयोग मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए हो।
Waqf Act, 1995 से 2013 की मुख्य बातें
Act 13: राज्य वक्फ बोर्ड की स्थापना
- प्रत्येक राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में एक State Waqf Board की स्थापना की जाती है।
- इसमें मुस्लिम समुदाय के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधि होते हैं – जैसे आलिम (धार्मिक विद्वान), समाजसेवी, वकील, सांसद, विधायक आदि।
धारा 36: वक्फ संपत्ति का पंजीकरण
- हर वक्फ संपत्ति का बोर्ड में पंजीकरण अनिवार्य है।
- ट्रस्टी (Mutawalli) को आवेदन देना होता है।
धारा 40: वक्फ संपत्ति की पहचान
कोई भी संपत्ति अगर वक्फ मानी जाती है, तो बोर्ड उसे वक्फ घोषित कर सकता है, भले ही रिकॉर्ड में कुछ और हो।
धारा 51: वक्फ संपत्ति का ट्रांसफर प्रतिबंधित
वक्फ संपत्ति को बेचना, गिरवी रखना, किराए पर देना या स्थानांतरित करना बिना बोर्ड की अनुमति के अवैध है।
धारा 52: अवैध कब्जा अपराध है
वक्फ संपत्ति पर अवैध कब्जा एक दंडनीय अपराध है, जिसमें जेल और जुर्माना दोनों का प्रावधान है।
धारा 55-64: बोर्ड की शक्तियाँ
वक्फ संपत्तियों की निगरानी, विवादों का निपटारा, ट्रस्टी को हटाना, नियुक्त करना आदि।
धारा 83: वक्फ ट्रिब्यूनल
- वक्फ से जुड़े विवादों के लिए विशेष न्यायाधिकरण (Waqf Tribunal) बनाए जाते हैं।
- सिविल कोर्ट का अधिकार नहीं होता वक्फ मामलों में।
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waqf board kya hai
वक्फ बोर्ड एक कानूनी निकाय है जो मुस्लिम कानून के तहत धार्मिक, पवित्र या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और देखरेख के लिए जिम्मेदार है। इसका मुख्य कार्य इन संपत्तियों का प्रशासन करना, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना और यह सुनिश्चित करना है कि उनका उपयोग दानदाताओं के इच्छानुसार हो। बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाती है और इसमें मुस्लिम समुदाय के प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल होते हैं।
मुस्लिम वक्फ (Waqf Board Amendment Bill) बोर्ड के नियमों में समय-समय पर बदलाव हुए हैं। यहाँ 2025 पहले के और अब के नियमों में कुछ मुख्य अंतर दिए गए हैं.
पहले के नियम (मुख्य रूप से वक्फ अधिनियम 1995, 2013 तक)
- वक्फ को किसी भी चल या अचल संपत्ति का स्थायी समर्पण माना जाता था, जिसे मुस्लिम कानून द्वारा धार्मिक, पवित्र या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए मान्यता प्राप्त हो। इसमें “वक्फ बाय यूज़र” (लंबे समय तक उपयोग के आधार पर वक्फ मानना) भी शामिल था।
- वक्फ बनाने के लिए किसी विशेष धार्मिक पृष्ठभूमि या अवधि की आवश्यकता नहीं थी।
- वक्फ बोर्ड में मुख्य रूप से मुस्लिम सदस्य होते थे, जिनमें निर्वाचित मुस्लिम सांसद, विधायक या बार काउंसिल सदस्य और कम से कम दो महिलाएं शामिल थीं।
- वक्फ संबंधी विवादों के निपटारे के लिए न्यायाधिकरण थे, जिनमें एक न्यायाधीश, एक अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट और मुस्लिम कानून के जानकार शामिल होते थे। न्यायाधिकरण के निर्णय को आम तौर पर अंतिम माना जाता था।
- वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण सर्वे कमिश्नर द्वारा किया जाता था।
- सरकारी संपत्तियों को भी वक्फ के रूप में पहचाना जा सकता था।
- वक्फ संपत्तियों को अधिग्रहण से बचाने के लिए सुरक्षा दी गई।
- बोर्ड को अधिक स्वायत्तता और अधिकार मिले।
- वक्फ संपत्तियों का GIS मैपिंग और डिजिटल रिकॉर्ड अनिवार्य किया गया।
- भ्रष्टाचार पर कठोर दंड प्रावधान जोड़े गए।
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अब के नियम Waqf Board Amendment Bill 2025 के अनुसार
- waqf बाय यूज़र” को हटा दिया गया है। अब केवल आधिकारिक तौर पर घोषित या समर्पित भूमि को ही waqf माना जाएगा।
- वक्फ बनाने वाले व्यक्ति को कम से कम पांच वर्षों तक इस्लाम का पालन करने वाला मुस्लिम होना आवश्यक है और संपत्ति का मालिक होना चाहिए।
- बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त, शिया, सुन्नी और पिछड़े मुस्लिम वर्गों के कम से कम एक-एक सदस्य और बोहरा और आगाखानी समुदायों (यदि राज्य में वक्फ हो) के एक-एक सदस्य को शामिल किया जाएगा। दो मुस्लिम महिलाओं का होना अनिवार्य है।
- न्यायाधिकरण में अब मुस्लिम कानून के विशेषज्ञ की आवश्यकता नहीं होगी। इसमें एक जिला न्यायालय के वर्तमान या पूर्व न्यायाधीश अध्यक्ष होंगे और राज्य सरकार के संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी सदस्य होंगे। न्यायाधिकरण के निर्णयों के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।
- सर्वे कमिश्नर की जगह अब जिला कलेक्टर वक्फ भूमि का सर्वेक्षण करेंगे, जो राज्य के राजस्व कानूनों के अनुरूप होगा।
- यदि कोई सरकारी संपत्ति वक्फ के रूप में पाई जाती है, तो वह वक्फ नहीं रहेगी।
- परिषद में भी दो गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल होंगे।
मुख्य परिवर्तन Waqf Board act
- “वक्फ बाय यूज़र” का हटना: यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है, जिसका उद्देश्य उन संपत्तियों को वक्फ के रूप में मान्यता देना बंद करना है जो लंबे समय से उपयोग में हैं लेकिन आधिकारिक तौर पर वक्फ के रूप में घोषित नहीं की गई हैं।
- वक्फकर्ता की योग्यता: वक्फकर्ता के लिए धार्मिक पालन की अवधि की आवश्यकता एक नया नियम है।
- गैर-मुस्लिम सदस्यों का समावेश: केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का उद्देश्य प्रशासन में विविधता और पारदर्शिता लाना है।
- न्यायाधिकरण की संरचना में बदलाव और अपील का प्रावधान: न्यायाधिकरण की संरचना में बदलाव और उच्च न्यायालय में अपील की अनुमति से विवादों के समाधान की प्रक्रिया में अधिक न्यायिक निरीक्षण संभव होगा।
- सर्वेक्षण की जिम्मेदारी में बदलाव: जिला कलेक्टर को सर्वेक्षण की जिम्मेदारी सौंपने का उद्देश्य वक्फ रिकॉर्ड को अन्य भूमि रिकॉर्ड के साथ संरेखित करना है।
- सरकारी संपत्तियों का वक्फ नहीं: सरकारी संपत्तियों को वक्फ मानने की प्रथा समाप्त कर दी गई है।
- यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 अभी कानून बनना बाकी है और इसमें और भी बदलाव हो सकते हैं।
भारत में वक्फ (waqf board property) संपत्तियाँ (आंकड़े – अनुमान)
- मस्जिदें और कब्रिस्तान
- दरगाहें और मदरसे
- धार्मिक विद्यालय और अनाथालय
- दुकानें, मकान, ज़मीनें (जिनसे किराया आता है)
- हॉस्पिटल, धर्मशालाएँ या चैरिटेबल संस्थाएँ
- भारत में लगभग 5 लाख से अधिक वक्फ संपत्तियाँ हैं।
- कुल अनुमानित क्षेत्रफल: 6 लाख एकड़ से अधिक।
- इनसे होने वाली संभावित आय अरबों रुपये है, लेकिन पूरी आय संग्रह नहीं हो पाती (प्रबंधन की समस्या)।
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निष्कर्ष
यह संशोधन विधेयक एक सकारात्मक कदम है जो वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और न्यायसंगत उपयोग की दिशा में बड़ा सुधार माना जाता है। हालांकि, इसकी कार्यान्वयन की गुणवत्ता और राज्य वक्फ बोर्डों की निष्पक्षता पर अब भी सवाल उठते रहते हैं, जो कि एक सतत निगरानी का विषय है।