christmas day:क्रिसमस या यीशु, ईसा मसीह के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व या त्योहार
है। यह पुरे विश्व भर में 25 दिसम्बर को ख़ुशी और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ईसा मसीह
की पूर्व संध्या कल यानि 24 दिसंबर से इस से जुड़े कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं। और इसे यूरोपीय और
पश्चिमी देशों में रंग बिरंगे कार्यकर्म आयोजन किए जाते हैं। भारत के गोवा राज्य में इस पर्व को
धूमधाम से मनाया जाता है इसके अलावा भारत के विभिन्न बड़ी चर्चों में इस दिन सभी धर्मों
के लोग एकत्रित होकर प्रभु ईसा मसीह की आराध्ना करते हैं। क्रिसमस या यीशु की पूर्व संध्या
कल में लोग प्रभु के जन्म दिन पर कैरोल, संगीत गाते हैं इस दिन लोग भाईचारे से मिलकर
रहने का सन्देश देते है |
सामाजिक पर्व: christmas day
Christmas day अब एक धार्मिक पर्व नहीं रहा क्यों की इस पर्व को सामाजिक पर्व का रूप धारण कर
लिया है इसी कारण तो इस पर्व को सभी समुदाय के लोग मनाते हैं और खुशियां बांटते एवं क्रिसमस
खुशी का त्यौहार है इस पर्व के दिन विश्व भर के गिरजाघरो में ईसा मसीह की जन्मगाथा और
कहनिया प्रस्तुत कईजाती है और चर्चो में प्रार्थना की जाती है। क्रिसमस के पर्व को ईसाई समाज
के लोग प्रमुख मानते है परन्तु वर्तमान समय में गैर ईसाई लोग भी इनको धर्मनिरपेक्ष से रूप में
मनाते हैं। बाजारों में इस पर्व की एक महत्पूर्ण भूमिका मानी जाती है। इस पर्व के अवसर पर लोग
उपहारों का आदान−प्रदान और छुट्टी होने के दौरान मौजमस्ती बहुत की जाती है |
happy christmas day कब मनाया जाता है
बताया जाता है की भगवान ने एक समय में अपने ग्रैबियल नामक दूत को मैरी नामक युवती के पास भेजा
और भगवान के दूत ने कहा मैरी तुम ईश्वर के पुत्र को जन्म दोगी मैरी ने अश्यचकित होकर पूछा की अभी मै
अविवाहित हु यह कैसे सभव होगा तो भगवान के दूत ने जाते हुए कहा भगवान सब ठीक कर देंगे और
ग्रैबियल यह कहकर वहा से अदृश्य हो गए कुछ वर्ष बीते और मैरी की शादी जोसेफ नाम के व्यक्ति के साथ
हुई ईश्वर के दूत ग्रैबियल जोसेफ के सपनो में आए और कहा कि जल्द ही मैरी गर्भवती होनी होने वाली है
उसका तुम्हें खास ध्यान रखना होगा क्योंकि होने वाली संतान स्वयं प्रभु यीशु होंगे जो उस समय नाजरथ
जोकि वर्तमान में इजराइल में है वहा रहा करते थे। उस समय में नाजरथ रोमन साम्राज्य का हिस्सा हुआ
करता था। किसी कार्य के कारण जोसेफ और मैरी बैथलेहम गए हुए थे जो अब फिलस्तीन में शामिल है उन
दिनों वहां बहुत ज्यादा लोग आए हुए थे जिस के कारण सभी धर्मशाला भरी हुए थी जिस के कारण जोसेफ
और मैरी को कहि भी जगह नहीं मिली काफी समय ढूढ़ने के बाद उनको एक अस्तबल में जगह मिली और
वही प्रभु यीशु का जन्म हुआ अस्तबल के पास कुछ गडरिए अपनी भेड़ों को चरा रहे थे, वहां भगवन के दूत
ग्रैबियल प्रकट हुए और गडरियों को प्रभु के जन्म लेने के बारे में बताया गडरिएयों ने नवजात शिशु के दर्शन
किये और उन्हें नमन किया।
ईसाई 25 दिसंबर जन्म दिन christmas day के रूप में मनाते हैं।
जोसेफ और मैरी का पुत्र जैसे-जैसे बड़ा हुआ उसी प्रकार यीशु गलीलिया में घूम−घूम कर उपदेश दिये और
लोगों को कई बीमारियों , दुर्बलता से कई व्यक्ति मुख़ति दिलवाई उन सब का भला किया धीरे-धीरे यीशु
महराज की यसकीर्ति पुरे देश में फैल गई यीशु के इस कार्य से सामाजिक में जागृति एवं सद्भावनापूर्ण भावना
के कारण उनके कुछ दुश्मन भी थे दुश्मनो ने यीशु को अंत में काफी यातनाएं दीं और उन्हें क्रूस पर लटकाकर
मार डाला। लेकिन यीशु का जीवन के पर्यन्त से मानव कल्याण की भावना जागृत हुए ,परन्तु उनको फिर भी
कू्रस पर लटकाया जा रहा था, फिर भी उनका कहना था की हे भगवन इन लोगों को क्षमा करना क्योंकि यह
लोग अज्ञानी हैं।’ जिसके बाद से ही ईसाई लोग 25 दिसंबर को इनके जन्म दिन एवं christmas day के
रूप में मनाते आ रहे हैं।
पर क्रिसमस ट्री क्यों लगाते हैं!
इस Christmas day के अवसर पर ईसाई समाज के सभी लोग अपने घरों में क्रिसमस ट्री लगाते हैं जिसे
अच्छे अच्छे लाइटों से सजाया जाता है। इसकी सुंदरता इसी करण बनती है क्रिसमस के दिन यानि 25
दिसंबर से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है। इस पर्व के अवसर पर बच्चों के बीच
सांता क्लॉज बहुत धूम करता है। सांता क्लॉज बच्चों के लिए मनचाहे उपहार लेकर आता हैं और बच्चों को
खुशियों से परी-फुल कर देता हैं। बच्चे भी खुद इस पर्व पर सुंदर कपडे पहनते हैं और पुरे दिन हाथ
में चमकीली छड़ियां लेकर सामूहिक नृत्य करते हैं। (happy christmas day)
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