डरपोक पत्थर की कहानी A hindi story with moral

डरपोक पत्थर की कहानी

A hindi story with moral:बहुत पहले की बात है एक गांव में शिल्पकार रहता था वह एक दिन मूर्ति बनाने के लिए जंगल में पत्थर ढूंढने के लिये गया। वहाँ शिल्पकार को एक बहुत ही सुन्दर पत्थर मिला। उस पत्थर को देखकर वह बहुत खुश हुआ और बोला यह मूर्ति बनाने के लिए बहुत ही सुन्दर पत्थर है।

जब वह पहला पत्थर लेकर आ रहा था तो उसको एक पत्थर और मिला उसने उस पत्थर को भी उठा लिया वह घर पहुँचकर उसने पत्थर को उठा कर अपने औजारों से उस पत्थर पर मूर्ति बनाना शुरू कर दिया।

जब शिल्पकार पत्थर पर चोट देने लगा तो पत्थर कहने लगा की मुझ छोड़ दो इस चोट से मुझे बहुत कष्ट हो रहा है। अगर तुम मुझ पर चोट मरोगे तो मै बिखर जाऊंगा। तुम किसी दूसरे पत्थर पर मूर्ति बना लो।

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उस पत्थर क बात सुनकर शिल्पकार को पत्थर पर दया आ गयी। उसने पत्थर को नहीं तोड़ा और दूसरे पत्थर को लेकर उस पर मूर्ति बनाने लगा। दूसरा पत्थर कुछ भी नहीं बोला। कुछ देर के बाद शिल्पकार ने उस पत्थर पर बहुत सुन्दर भगवान की मूर्ति बना दी।

अब जब भी कोई व्यक्ति मंदिर में पूजा करने आता तो मूर्ति की फूलों से सजाया करता, दूध से स्नान करता और दूसरी तरफ उस पत्थर पर नारियल फोड़ता था। जब लोग उस पत्थर पर नारियल तोड़ते तो वह पत्थर बहुत परेशान होता।

उसको दर्द होता और वह चिल्लाता लेकिन कोई उसकी कोई नहीं सुनता था । उस पत्थर ने मूर्ति वाले पत्थर से बात करी और कहा की तुम तो बहुत अच्छे से हो लोग तो तुम्हारी पूजा करते है। तुमको दूध से नहलाया करते है और प्रसाद चढ़ाते है।

लेकिन मेरी तो किस्मत ही खराब है मुझ पर लोग नारियल फोड़कर जाते है। मूर्ति बने पत्थर ने कहा की जब शिल्पकार तुम पर कारीगरी कर रहा था तब तुम उस समय उसको कारीगरी करने से नहीं रोकते तो आज मेरी जगह तुम होते।

लेकिन तुमने आसान रास्ता चुना इसलिए अब तुम दुःख पा रहे हो। उस पत्थर को मूर्ति बने पत्थर की बाते समझ आ गयी थी। उसने कहा की अब से मै भी किसी को भी शिकायत नहीं करूँगा। इसके बाद लोग आकर उस पर नारियल फोड़ते ।

नारियल फूटने से उस पर भी नारियल का पानी गिरता और अब लोग मूर्ति के प्रसाद का भोग लगाकर उस पत्थर पर रखने लगे | A hindi story with moral

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Moral:इस कहानी से हमे यह सिख मिलती है की हमें कभी भी कठिन परिस्थितियों से घबराना नहीं चाहिए।

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